क्या बीजेपी सरकार सही समय आने पर आरक्षण खत्म कर देगी?

मोदी सरकार और भारतीय जनता पार्टी पर अक्सर दलित विरोधी व आरक्षण विरोधी होने के आरोप लगते रहते हैं.

बीजेपी और आरएसएस की घोषित नीति आरक्षण को बनाए रखने की है. नरेंद्र मोदी कह चुके हैं कि ‘जब तक वह जिंदा हैं तब तक बाबा साहब के आरक्षण पर कोई आंच नहीं आएगी.’ जबकि आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत का कहना है कि ‘सामाजिक कलंक को मिटाने के लिए संविधान में प्रदत्त आरक्षण का आरएसएस पूरी तरह समर्थन करता है. आरक्षण कब तक दिया जाना चाहिए, यह निर्णय वही लोग करें, जिनके लिए आरक्षण की व्यवस्था की गई है. जब उन्हें लगे कि यह जरूरी नहीं है, तो वे इसका निर्णय लें.’
बीजेपी और नरेंद्र मोदी आरक्षण को पूरी तरह से खत्म करना चाहते हैं. आज आरक्षण का अधिकार मौलिक अधिकार नहीं बचा है, ये मीठा सच है. 10 फरवरी को  आरक्षण को खत्म करने के लिए पहले ही आरएसएस के बयान आ चुके हैं। उत्तराखंड सरकार बनाम अवधेश कुमार के फैसले में भाजपा सरकार ने दलील दी कि दलित-आदिवासियों को आरक्षण का मौलिक अधिकार नहीं है. सरकारों की आरक्षण देने की कोई जिम्मेदारी नहीं, ऐसा बीजेपी ने कहा और सुप्रीम कोर्ट ने दुर्भाग्यवश इसे स्वीकार कर लिया. बीजेपी और नरेंद्र मोदी के इशारे पर यह दलील दी गई क्योंकि दोनों एससी, एसटी और ओबीसी के आरक्षण के अधिकार को खत्म करना चाहते हैं.
  • करीब दो साल पर पहले जोधपुर में एक अखबार के कार्यक्रम में बीजेपी सांसद सुब्रह्मण्यन स्वामी ने कहा था कि ‘हमारी सरकार आरक्षण को पूरी तरह खत्म नहीं करेगी. ऐसा करना पागलपन होगा. लेकिन हमारी सरकार आरक्षण को उस स्तर पर पहुंचा देगी, जहां उसका होना या नहीं होना बराबर होगा. यानी आरक्षण निरर्थक हो जाएगा.’

आज आप चाहें तो सुब्रह्मण्यन स्वामी को बधाई दे सकते हैं कि आने वाले वक्त को उन्होंने बिल्कुल सही पढ़ लिया था और सही भविष्यवाणी की थी.

मौजूदा स्थितियों में आरक्षण

अगर हम नौकरियों की घटती संख्या, सरकारी क्षेत्र के निजीकरण और नौकरशाही में हो रही लैटरल एंट्री में आरक्षण की अनदेखी को मिलाकर देखें तो ये कहा जा सकता है कि वास्तव में आरक्षण ऐसी स्थिति में पहुंच रहा है, जहां इसके होने या नहीं होने में खास अंतर नहीं रह जाएगा. ये संतोष जनक है. क्योंकि सरकार खुद भी मानती है कि नौकरशाही के उच्च पदों पर वंचित समूहों के लोग काफी कम हैं. मिसाल के तौर पर पिछली सरकार में कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के मंत्री जितेंद्र सिंह ने 2017 में सूचना दी थी कि केंद्र सरकार में डायरेक्टर से और उससे ऊपर के कुल 747 पदों में से एससी अफसर सिर्फ 60 और एसटी अफसर सिर्फ 24 हैं। 

क्या मोदी सरकार पर भरोसा करें ? 

आरक्षण को खत्म करने की मंशा रखना भाजपा एवं आरएसएस के डीएनए में है.  कि उनको आरक्षण चुभता है और वे इसे मिटाना चाहते हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ‘आरक्षण’ पर बहस चाहते हैं। यह पहली बार नहीं है जब उन्होंने इस मसले पर अपने मन की बात कही है। पहले भी कई अवसरों पर, वह मुखर तरीके से अपने विचार रख चुके हैं। जब भागवत और उनके साथी ‘आरक्षण’ को खत्म करने की वांछनीयता पर बहस चाहते हैं। 
अतः हम सभी को BJP सरकार पर धैर्य के साथ भरोसा करना होगा क्योंकि हम सब जानते हैं कि सिर्फ यह सरकार ही आरक्षण को  पूण्तः समाप्त कर सकती है 

धन्यवाद 🙏

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